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भागवत नहीं, शत्रुघ्न-आरके सिंह के बयान से बिहार में हुआ नुकसान: मनोज तिवारी

Saturday, November 14, 2015

लखनऊ. भोजपुरी एक्टर और बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा है कि शत्रुघ्न सिन्हा और आरके सिंह को अपनी पीड़ा पार्टी के फोरम पर रखनी चाहिए थी। मनोज के मुताबिक दोनों के बयानों के कारण बिहार चुनावों में पार्टी को नुकसान पहुंचा। उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को लेकर दिए गए अपने बयान का खंडन भी किया है। मोहन भागवत के बयान के बारे में उन्होंने कहा कि आरक्षण पर संघ प्रमुख के विचार को पार्टी सही तरीके से जनता के बीच नहीं पहुंचा सकी। इसी वजह से लोगों ने उसे गलत समझा।

शत्रुघ्न और आरके सिंह ने गलत फोरम पर दिया बयान

मनोज तिवारी ने dainikbhaskar.com से शुक्रवार को कहा कि पार्टी के नेताओं शत्रुघ्न सिन्हा और आरके सिंह ने गलत फोरम पर बयान दिया। इसकी वजह से बिहार में पार्टी को नुकसान हुआ। मनोज ने कहा कि उन्होंने पहले ही साफ कर दिया था कि पार्टी को नेताओं की पीड़ा सुननी चाहिए और फिर फैसला लेना चाहिए। वहीं, इन दोनों नेताओं को पार्टी फोरम पर अपनी बात रखनी चाहिए थी।

 

क्या कहा था आरके सिंह ने?

बता दें कि आरा से बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह ने पार्टी का टिकट बेचे जाने और अपराधियों को देने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि राजद और बीजेपी में तब क्या फर्क रह गया। आरके सिंह ने ये भी साफ कह दिया था कि वह ऐसे गलत लोगों के लिए प्रचार नहीं करेंगे। उनका आरोप था कि अपराधी को पहले टिकट देकर फिर पार्टी में शामिल कराया गया।

 

क्या कहा था शत्रुघ्न ने?

शत्रुघ्न भी आरके सिंह के समर्थन में आए थे। उन्होंने कहा था कि सिंह की बहुत इज्जत है और उनके आरोपों को गंभीरता से लेना चाहिए। बिहारी बाबू के नाम से विख्यात शत्रुघ्न ने कहा था कि पार्टी को जवाब देना होगा कि टिकट बेचे या नहीं। साथ ही पारदर्शिता की जांच होनी चाहिए। शत्रुघ्न ने कहा था कि कैलाशपति मिश्र के संरक्षण में पले-बढ़े हैं। उनकी पुत्रवधु दिलमणि देवी का टिकट काट दिया गया। उनका कहना था कि समझ में नहीं आया कि टिकट किस आधार पर दिए गए और काटे गए। साथ ही ये सवाल भी शत्रु ने उठाया था कि क्या सिर्फ इसका सर्वे हुआ कि कौन हारेगा?

 

जातिगत खेल ने बिगाड़ा परिणाम

मनोज तिवारी का मानना है कि बिहार में बीजेपी की हार की सबसे बड़ी वजह वोटरों को जाति के आधार पर प्रभावित करना है। उन्होंने कहा कि ये कहना कि आरएसएस प्रमुख के बयान की टाइमिंग गलत थी, सच नहीं है। उनका कहना है कि भागवत के बयान को तोड़-मरोड़कर छापा गया।

 

क्या कहा था आरएसएस प्रमुख भागवत ने?

भागवत ने बीते 21 सितंबर को एक इंटरव्यू में कहा था कि आरक्षण पर राजनीति हुई है और इसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। रिजर्वेशन पॉलिसी का रिव्यू होना चाहिए। भागवत ने संघ के मुखपत्र पांचजन्य और ऑर्गेनाइजर में दिए इंटरव्यू में सुझाव दिया था कि ऐसी अराजनीतिक समिति गठित की जाए, जो ये देखे कि किसे और कितने समय तक आरक्षण की जरूरत है। भागवत के इस बयान को लालू प्रसाद ने लपक लिया था। आखिरी फेज की वोटिंग तक बीजेपी के जमीनी कार्यकर्ता से लेकर आलाकमान तक को इस बयान पर सफाई देनी पड़ी थी। महागठबंधन ने इसे मुद्दा बनाकर खूब भुनाया। मोहन भागवत के बयान के बाद डेवलपमेंट के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की स्ट्रैटजी मोदी और अमित शाह को बदलनी पड़ी। चुनाव अगड़े और पिछड़े के मुद्दे पर फोकस हो गया था।